कन्नप्पा(KANNAPPA) मे थिन्नाडु की आंखें क्यूँ चली गई?

Kannapa” एक पौराणिक और भक्तिपूर्ण फिल्म है, जो एक शिकारी से भगवान शिव के महान भक्त बनने वाले व्यक्ति की सच्ची और भावनात्मक कहानी बताती है।

एक दिन उसे जंगल में एक शिवलिंग दिखाई देता है। वह उस पर मांस और पानी चढ़ाता है, जो कि पारंपरिक पूजा के नियमों से बिल्कुल अलग होता है।

थिन्नाडु एक शिकारी जंगल में रहता है। वह ईश्वर में विश्वास नहीं करता और केवल अपने शिकार और जीने के साधनों पर निर्भर रहता है।

फिर भी, उसकी भक्ति सच्ची होती है। भगवान शिव उसकी निष्कलंक भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं।

जब शिवलिंग से रक्त निकलने लगता है, तो वह अपने आंखें तक न्योछावर कर देता है — पहले एक, फिर दूसरी आंख भी देने को तैयार हो जाता है।

ठीक उसी वक्त भगवान शिव प्रकट होते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं। उसकी आंखें लौटा देते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।


मुख्य कलाकार

विश्णु मांचू – थिन्नाडु/कन्नप्पा के रूप में (मुख्य भूमिका)

प्रभास – भगवान रुद्र के रूप में (विशेष भूमिका)

अक्षय कुमार – भगवान शिव के रूप में (हिंदी डेब्यू)

मोहनलाल – किरात (शिव का रूप)

काजल अग्रवाल – माता पार्वती के रूप में


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निर्देशन:

निर्देशक: मुकेश कुमार सिंह

यह फिल्म 10 वर्षों में बनी है, और इसकी शूटिंग न्यूज़ीलैंड के सुंदर प्राकृतिक स्थलों पर हुई है।

पहला भाग थोड़ा धीमा है, लेकिन दूसरा भाग और क्लाइमेक्स बहुत भावुक और आत्मिक है।

प्रभास और मोहनलाल जैसे बड़े सितारों की भूमिकाएं थोड़ी लेकिन प्रभावशाली हैं।


मुख्य संदेश

यह फिल्म दिखाती है कि सच्ची भक्ति में विधि-विधान से ज़्यादा दिल का भाव मायने रखता है। चाहे पूजा परंपराओं के अनुसार ना हो, लेकिन यदि आस्था सच्ची हो, तो भगवान स्वयं भक्त के सामने प्रकट हो जाते हैं।


रिस्पॉन्स और बॉक्स ऑफिस:

हिंदी वर्जन में कुछ संवेदनशील दृश्यों को हल्का किया गया है ताकि व्यापक दर्शकों के लिए उपयुक्त रहे।

पहले दिन की कमाई तेलुगू में करीब ₹12–13 करोड़ रही।

हिंदी में धीमी शुरुआत की उम्मीद है लेकिन शब्द-से-शब्द प्रचार (word of mouth) से ग्रोथ संभव है।

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